शिक्षा मंत्रालय की पहल पर प्रदेश में स्कूली विद्यार्थियों की ऑटोमेटेड परमानेंट एकेडमिक अकाउंट रजिस्ट्री (APAR) आईडी बनाने को लेकर अभियान चल रहा है। प्रदेश ही नहीं सरकारी स्कूलों की अपेक्षा निजी स्कूलों की प्रगति देशभर में अपेक्षाकृत धीमी है। इसे देखते हुए निजी स्कूलों में APAR आईडी बनवाने पर ज्यादा फोकस होगा। इसके लिए मंगलवार को मेगा अपार दिवस मनाया जाएगा।
शिक्षा मंत्रालय की ओर से हाल में जारी डेटा में कहा गया है कि निजी स्कूलों में अभी भी 41 फीसदी ही छात्रों की APAR आईडी बनी है। इन विद्यालयों को APAR आईडी बनाने के लिए प्रोत्साहित करने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही मंत्रालय ने यह भी कहा है कि कक्षा नौ से 12 के विद्यार्थियों पर भी फोकस करना है, क्योंकि बोर्ड परीक्षा के बाद ये विद्यार्थी, किसी अन्य संस्थानों में चले जाएंगे।
शिक्षा मंत्रालय के निर्देश पर महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने सभी BSA व DIOS को निर्देश दिए हैं कि 11 फरवरी को मेगा अपार दिवस मनाया जाए। इस दौरान अभियान चलाकर छूटे हुए छात्रों की APAR आईडी बनवाई जाए। प्रदेश में भी अपार आईडी बनाने में सरकारी स्कूलों की स्थिति निजी की अपेक्षा बेहतर है। हालांकि ओवरऑल 50 फीसदी छात्रों की ही APAR आईडी बनी है।
शिक्षकों का वेतन रोकने का आप ने किया विरोध
अपार आईडी पूरी न होने पर सरकारी प्राथमिक स्कूलों के शिक्षकों का वेतन रोकने पर आम आदमी पार्टी शिक्षा प्रकोष्ठ ने नाराजगी व्यक्त की है। प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र सिंह ने कहा कि अपार आईडी बनाने में तकनीकी दिक्कतें आ रही हैं। छात्र व उनके अभिभावकों के आधार कार्ड में कमियों के चलते व छात्र के आधार में दर्ज नाम, पता से स्कूल के रिकॉर्ड में अंतर है। इसकी वजह से अपार आईडी नहीं बन पा रही है। इसके बावजूद शिक्षकों का वेतन रोका जाना नियम विरुद्ध है। मालूम हो कि आदेश के बाद भी अभी कई जिले ऐसे हैं जहां पर वेतन का भुगतान नहीं हो सका है।
FAQ
- Q: APAR ID क्या है?
- A: APAR आईडी स्कूली विद्यार्थियों की ऑटोमेटेड परमानेंट एकेडमिक अकाउंट रजिस्ट्री है, जिसका उद्देश्य विद्यार्थियों के एकेडमिक रिकॉर्ड को डिजिटल रूप से सुरक्षित रखना है।
- Q: मेगा अपार दिवस कब मनाया जाएगा?
- A: मेगा अपार दिवस 11 फरवरी को मनाया जाएगा, जिसके दौरान छूटे हुए छात्रों की APAR आईडी बनवाई जाएगी।
- Q: APAR ID बनाने में क्या दिक्कतें आ रही हैं?
- A: APAR आईडी बनाने में मुख्य रूप से तकनीकी दिक्कतें आ रही हैं, जैसे कि छात्रों और उनके अभिभावकों के आधार कार्ड में कमियां और स्कूल के रिकॉर्ड में अंतर।