राष्ट्रीय महिला दिवस 2025: सरोजिनी नायडू की विरासत का जश्न
सरोजिनी नायडू भारत की पहली महिला राज्यपाल थीं, जिन्होंने स्वतंत्रता के बाद उत्तर प्रदेश का नेतृत्व किया। उन्हें “भारत की कोकिला” के रूप में भी जाना जाता है। एक महान स्वतंत्रता सेनानी, नायडू ने महिलाओं के अधिकारों के लिए संघर्ष किया और शिक्षा तथा राजनीति में उनकी भागीदारी का समर्थन किया।
राष्ट्रीय महिला दिवस 2025 की शुभकामनाएँ
भारत हर साल 13 फरवरी को राष्ट्रीय महिला दिवस मनाता है, ताकि सरोजिनी नायडू के योगदान को सम्मान दिया जा सके। यह दिन उन महिलाओं की उपलब्धियों का उत्सव मनाने और लैंगिक समानता को बढ़ावा देने का अवसर है जिन्होंने समाज में बदलाव लाने का कार्य किया।
सरोजिनी नायडू के 5 प्रेरणादायक विचार
✅ “हम उद्देश्य में अधिक ईमानदारी, भाषण में अधिक साहस और कार्य में गंभीरता चाहते हैं।“
✅ “जीवन एक गीत है, इसे गाओ। जीवन एक खेल है, इसे खेलो। जीवन एक चुनौती है, इसका सामना करो।“
✅ “जब उत्पीड़न होता है, तो आत्म-सम्मान की एकमात्र बात यह है कि उठो और कहो – यह आज बंद हो जाएगा क्योंकि मेरा अधिकार न्याय है।“
✅ “किसी देश की महानता उसके प्रेम और बलिदान के अमर आदर्शों में निहित होती है जो उस जाति की माताओं को प्रेरित करते हैं।“
✅ “जब तक तुम संघर्ष और बलिदान को नहीं समझते, तुमने जीवन को सही से नहीं जिया।“
राष्ट्रीय महिला दिवस का महत्व
✔ यह महिलाओं के योगदान को पहचानने और सम्मानित करने का अवसर है।
✔ यह लैंगिक समानता और सशक्तिकरण पर ध्यान केंद्रित करता है।
✔ यह युवा पीढ़ी को प्रेरित करता है कि वे महिलाओं की भूमिका को स्वीकार करें और समर्थन करें।
FAQs
Q1: भारत में राष्ट्रीय महिला दिवस कब और क्यों मनाया जाता है?
A: भारत में राष्ट्रीय महिला दिवस 13 फरवरी को मनाया जाता है, जो सरोजिनी नायडू की जयंती का प्रतीक है। यह दिन महिलाओं के योगदान और सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है।
Q2: सरोजिनी नायडू को “भारत की कोकिला” क्यों कहा जाता है?
A: सरोजिनी नायडू की कविताओं और उनके मधुर भाषणों के कारण उन्हें “भारत की कोकिला” (The Nightingale of India) कहा जाता है। उनकी कविताएँ भारतीय संस्कृति, प्रेम और स्वतंत्रता संग्राम की भावना को दर्शाती हैं।
Q3: सरोजिनी नायडू का स्वतंत्रता संग्राम में क्या योगदान था?
A: उन्होंने महिलाओं की शिक्षा और राजनीतिक भागीदारी को बढ़ावा दिया, साइमन कमीशन का विरोध किया, और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष बनीं। वह स्वतंत्रता आंदोलन में महात्मा गांधी के साथ सक्रिय रूप से जुड़ी रहीं।
निष्कर्ष
राष्ट्रीय महिला दिवस केवल एक दिन नहीं, बल्कि महिलाओं की उपलब्धियों का उत्सव और लैंगिक समानता की ओर एक कदम है। सरोजिनी नायडू की विरासत हमें यह याद दिलाती है कि समाज में बदलाव लाने के लिए शिक्षा, साहस और संकल्प आवश्यक हैं।