हम रोज़ाना बाजार में खरीदारी करते समय सिक्कों और नोटों का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इनका निर्माण करने में सरकार को कितना खर्च आता है? हां, सरकार को नोट छापने और सिक्के ढालने में खर्च करना पड़ता है, और यह खर्च जनता के टैक्स से पूरा होता है।
नोट और सिक्कों का निर्माण कैसे होता है?
भारत में नोटों और सिक्कों का निर्माण सरकार की देखरेख में किया जाता है। सिक्के Security Printing and Minting Corporation of India Limited (SPMCIL) द्वारा बनाए जाते हैं, और इसके लिए चार प्रमुख टकसाल मुंबई, हैदराबाद, कोलकाता और नोएडा में स्थित हैं। वहीं, नोटों की छपाई भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की देखरेख में होती है, जिसमें नासिक, देवास, मैसूर और सालबोनी में नोट प्रेस हैं।
एक रुपये के सिक्के की लागत
2018 में RBI ने बताया था कि एक रुपये का सिक्का बनाने में 1.11 रुपये का खर्च आता है। अन्य नए सिक्कों की लागत इस प्रकार है:
- ₹2 का सिक्का: लगभग ₹1.28
- ₹5 का सिक्का: लगभग ₹3.69
- ₹10 का सिक्का: लगभग ₹5.54
- ₹20 का सिक्का: ₹15-17
इसका मतलब यह है कि सरकार को इन सिक्कों को बनाने में उनकी वास्तविक कीमत से अधिक खर्च करना पड़ता है।
नोट छापने की लागत
सरकार विभिन्न मूल्यवर्ग के नोट छापती है, जैसे ₹1, ₹2, ₹5, ₹10, ₹20, ₹50, ₹100, ₹200, ₹500 और ₹2000। 2018 के आंकड़ों के अनुसार:
- ₹10 के नोट की छपाई: 0.96 से 1.01 रुपये
- ₹20 के नोट की छपाई: 1.10 से 1.15 रुपये
- ₹50 के नोट की छपाई: 1.49 से 1.58 रुपये
- ₹100 के नोट की छपाई: 1.51 से 1.80 रुपये
- ₹200 के नोट की छपाई: 2.93 से 3.12 रुपये
- ₹500 के नोट की छपाई: 2.94 से 3.09 रुपये
- ₹2000 के नोट की छपाई: 3.54 से 3.77 रुपये
सरकार को नुकसान क्यों उठाना पड़ता है?
कई सिक्के और नोट सरकार को उनकी मूल कीमत से अधिक महंगे पड़ते हैं। इसका कारण यह है कि इनकी छपाई और निर्माण में कच्चा माल, डिज़ाइन, सुरक्षा फीचर्स और ट्रांसपोर्टेशन का खर्च शामिल होता है। सिक्कों को आमतौर पर 15-20 साल तक इस्तेमाल किया जा सकता है, जबकि नोटों की उम्र औसतन 3-4 साल होती है। यही कारण है कि सरकार सिक्कों को प्राथमिकता देती है।
सुरक्षा उपाय
भारत सरकार और RBI नकली नोटों को रोकने और सिक्कों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए कई उपाय करते हैं। सिक्कों में अलग-अलग धातुओं का मिश्रण किया जाता है ताकि उनकी पहचान आसान हो सके। वहीं, नोटों में वॉटरमार्क, सिक्योरिटी थ्रेड, माइक्रो टेक्स्ट आदि तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है।
डिजिटल पेमेंट का लाभ
पिछले कुछ वर्षों में भारत में डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा दिया गया है। UPI, मोबाइल वॉलेट और कार्ड पेमेंट जैसी सुविधाओं ने नकद लेनदेन को कम कर दिया है। डिजिटल ट्रांजेक्शन बढ़ने से सरकार को फायदा होता है क्योंकि इससे नोट छापने और सिक्के ढालने की लागत बचाई जा सकती है।
FAQs
Q: एक रुपये का सिक्का बनाने में कितना खर्च आता है?
A: एक रुपये का सिक्का बनाने में लगभग 1.11 रुपये का खर्च आता है।
Q: क्या सरकार डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा दे रही है?
A: हां, सरकार डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा दे रही है जिससे नकद लेनदेन कम हो रहा है।
Q: क्या सिक्के नोटों की तुलना में ज्यादा समय तक चलते हैं?
A: हां, एक सिक्का आमतौर पर 15-20 साल तक चलता है जबकि एक नोट की उम्र औसतन 3-4 साल होती है।