किसान जो पशुपालन कर रहे हैं या करने की योजना बना रहे हैं, उनके लिए यह जानना महत्वपूर्ण है कि कौन सी भैंस की नस्ल उनके लिए सबसे उपयुक्त होगी। डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के डेरी फार्म विभाग के वैज्ञानिक डॉ. विजय कुमार गोंड के अनुसार, समस्तीपुर की जलवायु के लिए नीली रवि और मुरहा नस्ल की भैंसें सबसे उपयुक्त हैं।
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नीली रवि और मुरहा नस्ल की विशेषताएँ
इन नस्लों की भैंसें समस्तीपुर के मौसम के अनुकूल होती हैं और इन्हें गर्मी व ठंड दोनों से अच्छे तरीके से बचाया जा सकता है। नीली रवि और मुरहा नस्ल की भैंसें हर 12 से 15 महीने में एक बछड़ा देती हैं, और इनके दूध में वसा की मात्रा अधिक होती है, जिससे किसानों को बेहतर मुनाफा मिल सकता है।
गर्मी से बचाने के उपाय
डॉ. गोंड ने बताया कि भैंसों को गर्मी से बचाने के लिए उचित छांव और ठंडी जगह जरूरी है। अधिक गर्मी से भैंसों की दूध उत्पादन क्षमता प्रभावित हो सकती है, इसलिए उन्हें ठंडा वातावरण दिया जाना चाहिए। गर्मी के दौरान पशुओं को पर्याप्त पानी और छायादार स्थान उपलब्ध कराना आवश्यक है।
संतुलित आहार का महत्व
भैंसों को संतुलित आहार देने की सलाह दी गई है, जिसमें हरा चारा, चोकर और अन्य पोषणयुक्त आहार शामिल होना चाहिए। संतुलित आहार से भैंसें स्वस्थ रहेंगी और अधिक दूध दे सकेंगी।
नियमित स्वास्थ्य देखभाल
भैंसों की नियमित स्वास्थ्य जांच और टीकाकरण बहुत जरूरी है। बीमारियों से बचाव के लिए समय-समय पर टीकाकरण कराना चाहिए, जिससे पशु स्वस्थ रहेंगे और उनका उत्पादन प्रभावित नहीं होगा।
दूध दुहने का सही समय और तकनीक
भैंसों का दूध दुहने का समय नियमित रखना चाहिए ताकि दूध की गुणवत्ता प्रभावित न हो। सही तकनीक अपनाने से भैंसों को नुकसान नहीं होता और वे लंबे समय तक अधिक दूध देती हैं।
सफाई और देखभाल
भैंसों के बाड़े और रहने की जगह की साफ-सफाई बनाए रखना बहुत जरूरी है। उचित स्वच्छता से पशु स्वस्थ रहते हैं और बीमारियों से बचाव होता है।
FAQs
1. नीली रवि भैंस किस प्रकार की होती है?
नीली रवि भैंस उच्च दूध उत्पादन क्षमता वाली नस्ल है, जो विभिन्न जलवायु में अच्छी तरह से अनुकूलित होती है।
2. मुरहा भैंस और नीली रवि भैंस में क्या अंतर है?
मुरहा भैंस अधिक लोकप्रिय हो सकती है, लेकिन नीली रवि भैंस भी उच्च गुणवत्ता का दूध देती है और कम संसाधनों में पाली जा सकती है।
3. भैंसों को गर्मी से कैसे बचाएं?
भैंसों को ठंडी छांव, पर्याप्त पानी और उचित आहार देकर गर्मी से बचाया जा सकता है।